बरेली: अहंकार, अत्याचार, अपमान, असत्य रूपी रावण व उसके कुनबे पर इस बार कोरोना महामारी रूपी दानव भारी पड़ रहा है। इसके चलते ही भीमकाय रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ बौने हो गए हैं। विजयदशमी पर शहर के रामलीला स्थलों पर रावण के कुनबे के बौने पुतलों का ही दहन होगा।कोरोना के चलते सिकुड़े रावण कुनबे ने इस बार इन पुतलों को बनाने वाले कारीगर भी मासूस हैं। शहर में कालीबाड़ी व मुलकपुर के रावण वाली गली में वर्षो से इन पुतलों को बनाने का काम होता है। रामलीला शुरू होने के साथ ही यहां कारीगर अपने पूरे परिवार के साथ पुतले बनाने में जुट जाते हैं। यही पुतले उनके परिवार के लिए खुशियों की सौगात लेकर भी आते हैं। इन पुतलों से उनकी अच्छी कमाई होती और इससे उनके त्यौहार खुशी-खुशी मनते हैं। इस बार कोरोना के चलते रामलीला व पुतला दहन का आयोजन सीमित होने से पुतलों की डिमांड भी सीमित है। कालीबाड़ी में पुतला बनाने वाले कारीगरों ने बताया कि इस साल उन्होंने पहले से बहुत कम व बहुत छोटे पुतले ही बनाए हैं। इससे उनकी कमाई न के बराबर रह गई है।

रावण के पुतलों ने ही मुलकपुर की एक गली रावण वाली गली बना दिया। यहां थाने से चंद कदम दूरी पर यह गली है। इस गली में कुछ परिवार सीजन में रावण व उसके कुनबे के पुतले बनाने का ही काम करते थे। रामलीला के दौरान इस गली में जहां-तहां रावण के पुतले ही दिखाई देते थे। इस बार रावण कुनबे के बड़े पुतलों की डिमांड नहीं आने से इन परिवारों के हाथ भी खाली रह गए और गली भी रावण बिन सूनी रह गई।