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आईआईटी कानपुर की तकनीक पहुंचेगी चांद पर, इसरो के चंद्रयान-2 को दिखाएगी रास्ता

 

इसरो 15 जुलाई को चंद्रयान अपना दूसरा मिशन लॉन्च करेगा, इस मिशन को चंद्रयान-2 का नाम दिया गाय है और इसे जिस रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा उसका नाम जीएसएलवी मार्क III है। इसकी खास बात यह है कि भारत का अबतक का सबसे भारी रॉकेट है। इस लॉन्च से पहले आईआईटी कानपुर ने मैपिंग जेनरेशन सॉफ्टवेयर को तैयार किया है जोकि चंद्रयान -2 की मैपिंग करेगा। इसकी कलन विधि यानि एलगोरिदम को फैकल्टी के 10 लोगों ने तैयार किया है जिसमे छात्र भी शामिल हैं। इसे तीन वर्ष के कार्यकाल में तैयार किया गया है।

 

 

 

आईआईटी कानपुर की बड़ी उपलब्धि इस सॉफ्टवेयर को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आशीष दत्ता व इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर केएस वेंकटेश ने बनाया है। इसे सॉफ्यवेयर के जरिए चंद्रयान 2 को चांद की सतह पर रास्ता दिखाया जाएगा। यही नहीं इस सॉफ्टवेयर की मदद से चंद्रयान 2 चांद पर पानी व खनिज की तलाश करेगा और इसकी तस्वीर सीधे इसरो को भेजने में मदद करेगा। यह सॉफ्टवेयर चंद्रयान के रूट को भी चांज पर तय करेगा, जिससे ना सिर्फ ऊर्जा की बचत होगी बल्कि लक्ष्य तक पहुंचने में भी इस मिशन को मदद मिलेगी।

 

 

 

 

सोमवार को होगा लॉन्च बता दें कि सोमवार की सुबह 2.51 बजे जीएसएलवी एमके 3 रॉकेट से चंद्रयान 2 को लॉन्च किया जाएगा। इस पूरे मिशन की तैयारी पूरी हो चुकी है और अब इसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चंद्रयान 2 चांद की सतह, वातावरण, विकिरण और तापमान का अध्ययन करेगा। इससे पहले इसरो ने 2008 में चांद मिशन की शुरूआत की थी, जिसे चंद्रयान नाम दिया गया था। यह मिशन काफी सफल रहा था, इस मिशन के दौरान चांद की सतह पानी की खोज की गई थी। चांद का दक्षिण पोल रीजन भारत के लिए काफी अहम है।

 

 

 

 

यह इसलिए अहम है क्योंकि चांद पर पानी की उपस्थिति की और भी अधिक पुष्ट जानकारी मिल सकती है। भारत का नाम चार चुनिंदा देशों में होगा शुमार चांद की सतह पर लैंड करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले चांद की सतह पर अमेरिका, रूस और चीन अपना यान भेज चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नहीं उतरा है। बता दें कि चंद्रयान 2 का कुल वजन 3800 किलो है, इसपर कुल 1000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, यह जांच पर 52 दिन बिताएगा।

 

 

यह सॉफ्टवेयर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. आशीष दत्ता व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. केएस वेंकटेश ने बनाया है।  इसे मोशन प्लानिंग और मैपिंग जेनरेशन सॉफ्टवेयर नाम दिया गया है। यह वह सॉफ्टवेयर है जो चंद्रयान-2 के छह पहिए वाले रोवर ‘प्रज्ञान’ को चांद की सतह पर रास्ता दिखाएगा जिसके जरिए प्रज्ञान चांद पर पानी व खनिज की तलाश करेगा। वहां की स्थिति का फोटो खींचकर इसरो को भेजेगा।



रोवर को हर बाधाओं से करेगा आगाह

आईआईटी वैज्ञानिकों का यह सॉफ्टवेयर रोवर का मूवमेंट तो तय करेगा ही साथ में उसका रूट भी निर्धारित करेगा, जिससे ऊर्जा खपत सबसे कम हो। रोवर को टारगेट तक पहुंचाने के लिए उसे बीच में पड़ने वाले सभी बाधाओं से भी आगाह करेगा। इसका संचालन 20 वॉट की सौर व बैटरी की ऊर्जा से होगा। यह सॉफ्टवेयर प्रज्ञान को चांद की सतह में खुदाई कर पानी व केमिकल तलाशने में भी मदद करेगा।

 

 

 

 

 

उत्तर प्रदेश की रितु हैं ISRO के चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर, जानें कहां से की है पढ़ाई

 

 

ISRO का मून मिशन चंद्रयान-2 रविवार और सोमवार यानी 14 और 15 जुलाई 2019 की रात करीब 2.51 बजे लॉन्च होने वाला है। यह देश के लिए गौरव का पल होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए इन पलों की खुशी कुछ और ही होगी। क्योंकि इसरो के इस मून मिशन की लॉन्चिंग रितु करिधाल श्रीवास्तव के सुपरविजन में होगी जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए रितु कभी आईआईटी के पीछे नहीं भागीं। हम आगे आपको बता रहे हैं कि रितु ने किस स्कूल और कॉलेज से पढ़ाई की है और किस सादगी से इसरो की सीनियर साइंटिस्ट तक का सफर तय किया है...

 

 

 

 

 
रितु करिधाल श्रीवास्तव

 

 

 
रितु कहती हैं, 'तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर आकर्षित किया। मैं हमाशा सोचा करती थी कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए विषय नहीं जुनून था।' रितु ने इसरो में कई अहम प्रोजेक्ट किए। वह मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर भी रह चुकी हैं और इस प्रोजेक्ट को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं।

 

 





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